विद्यालय के संस्थापक प्राचार्य स्वर्गीय राम सुधीर पाण्डेय की मनायी गयी जयंती

शिक्षा जगत के ध्रुवतारा थे सुधीर बाबू
मधुबनी
रीजनल सेकेंडरी स्कूल के संस्थापक प्राचार्य स्वर्गीय राम सुधीर पांडेय की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर उपस्थित लोगों के साथ मोना , ऋषभ एवम् परिवार के लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की इस अवसर पर एल एन मुटा के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चंद्र मोहन झा ने कहा कि मनुष्य की जन्म लेने के साथ ही मृत्यु भी तय हो जाती है लेकिन अपने कर्म के बल पर मृत्यु के बाद भी लोगों के दिल में बने रहते हैं और उनके कृति को याद कर ऊर्जा शक्ति प्राप्त होता रहता है इस अवसर पर डा उदय चन्द्र झा बिनोद ने कहा कि सुधीर बाबू जैसे हुतात्मा से यह सीख लेना चाहिए कि जीवन मृत्यु तो सबकी होती है पर बीच में हमने क्या किया जीवन को सफल सार्थक किया कि नहीं या पशुवत चले गये ऐसे लोग कम ही होते हैं जिनका जीवन सार्थक होता है। विद्यालय के निदेशक राम श्रृंगार पांडे ने कहा कि वह एक कुशल प्राचार्य ही नहीं थे बल्कि एक शिक्षक भी थे और हर विषय पर उनकी पकड़ रहती थी छात्र-छात्राओं में भी उनकी एक अलग पहचान थी जो विरले ही शिक्षक में होते हैं ।मेरा प्रयास रहेगा कि उनके अधूरे सपनों को पूरा करूँ।वहीं समाज सेवी डा हेमचन्द्र झा ने कहा,मातु पिता से बढकर भी गुरू होते हैं और गुरु होने के लिए बहुत कठिन तपस्या करनी पडती है और सही अर्थों में सुधीर बाबू ने गुरू की परंपरा कायम रखी जिसकी चर्चा आज हो रही और होती रहेगी वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ के महादेव मिश्र ने कहा कि बच्चों पर ऐसा छाप छोड गये कि वो बच्चे आज भी उनका गुणगान गा रहे।
बाल विज्ञान के जिला समन्वयक संतोष कुमार मिश्र चुन्नु ने कहा कि सुधीर बाबू को विज्ञान के क्षेत्र में भी एक अलग पहचान थी और उनके बल पर ही सिर्फ अपने विद्यालय ही नहीं पूरे जिले के बच्चों को परियोजना की तैयारी में समय देकर राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका थी जबकि विद्यालय के प्रशासक राजीव कुमार ने कहा कि स्वर्गीय सुधीर बाबू हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके बताए रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी जबकि शैक्षणिक निदेशक प्रत्युष परिमल ने कहा कि उनके नहीं रहने से विद्यालय की अपूरणीय क्षति हुई है लेकिन उनके विचारों पर यदि चले तो हम लोग आगे बढ़ते रहेंगे इधर विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार झा ने अध्यक्षीय भाषण करते हुए कहा कि स्वर्गीय सुधीर बाबू को सिर्फ विषय पर पकड़ नहीं थी बल्कि कुशल प्रशासक भी थे यही कारण है कि आज भी विद्यालय अनुशासन में रहते हुए संचालित हो रहा है, वे एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे। इस अवसर पर धर्मेन्द्र कुमार ने अपने विचार रखे और उनके जीवन क दर्शन को अभिव्यक्त करती काविता पाठ किया ।साथ ही महेष सिंह ने भी अपने विचार रखे । पवन तिवारी , राजाराम झा ,पंकज कुमार झा ,अमित कुमार ,अनिल दत्ता , विनय कुमार ठाकुर ,ऋषभ कुमार , डॉ पीयूष परिमल आदि ने भी अपने विचार रखें इस अवसर पर निर्णय लिया गया कि आगे दर्जनों विद्यालय में सुधीर मेमोरियल ट्रस्ट के द्वारा क्विज , पेंटिंग , निबंध आदि प्रतियोगिता का आयोजन कर सफल प्रतिभागी को सम्मानित किया जाएगा।
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