हथियार थामने बाला पुत्र के हाथों में प्रतिद्वंदी अपराधी बच्चों के हाथों से कलम छीन कर थमा रहे बंदूक

सुभाष चन्द्र झा
जिला प्रभारी
फ्रंटलाइन 24
सहरसा
– दुखी मां लगा रहे डीएसपी और एसपी के कार्यालय की चक्कर
कहते हैं डाकू बाल्मीकि भी सत संगत से हथियार छोड़कर संत बन गया और उंगलीमार डाकू भी बुद्ध के शरण में आकर सन्यासी बन गया। लेकिन कलयुग में अगर कोई कुख्यात अपराधी अपने पुत्रों को अपराध की दुनिया से हटाकर कलम की दुनिया में भेजने की इच्छा रखता है तो उनके विरोधी अपराधी को यह नागवार गुजरता है। वे बच्चों की हाथों से कलम को छीनकर जबरन बंदूक थमाने का षड्यंत्र रचते है। यह कोई फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं , बल्कि हकीकत है।
जिले के सलखुआ थाना क्षेत्र अंतर्गत चिरैया ओपी क्षेत्र के बेलाही गांव निवासी एवं कोसी दियारा का सबसे चर्चित अपराधी सरगना स्व रामानंद यादव उर्फ पहलवान यादव की पत्नी एवं पूर्व जिला पार्षद फूलन देवी गुरुवार को सिमरी बख्तियारपुर डीएसपी कार्यालय की चक्कर लगाती रही। फिर वे शुक्रवार को जिले के एसपी लिपि सिंह के कार्यालय भी आवेदन लेकर पहुंची।
डीएसपी और एसपी कार्यालय के चक्कर लगा रही दुखियारी मां ने बताया कि उनके पति अपराध की दुनिया का भले ही बेताज बादशाह रहे हो। लेकिन उन्होंने अपने पुत्रों को इस दुनिया से दूर रखने का प्रयास किया। वे छोटी उम्र में ही अपने दोनों छोटे बेटे रोशन और हिम्मत को जहां बेगूसराय स्थित निजी प्राथमिक विद्यालय में रखकर हथियार की दुनिया से दूर रखने का प्रयास किया। वही दोनों बच्चों की कक्षा 5 से 12वीं तक की पढ़ाई दानापुर स्थित आरपीएफ स्कूल में रखकर पढ़वाया। वे दोनों बच्चों को छुट्टी में भी घर आने की इजाजत नहीं देते थे। वे लोग दोनों पुत्रों से मिलने दानापुर ही जाया करती थी। उनके दोनों छोटे पुत्र कभी ना तो बाप के साए में रहा और ना ही हथियार को भी देख पाया।
12 वीं की पढ़ाई के बाद उनके मझले पुत्र रोशन का नामांकन जहां उत्तराखंड के देहरादून स्थिति इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया। जहां वे अभी थर्ड सेमेस्टर के छात्र हैं। वहीं उनके छोटे पुत्र हिम्मत भी पटना में रहकर बीए की पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में जुट गया।
लेकिन बीते वर्ष 2020 के मार्च महीने में हुए लगे लॉकडाउन के बाद दोनों ही पुत्रों के शिक्षण संस्थान बंद हो गई। ऐसे में मजबूरन दोनों को लौट कर सलखुआ थाना क्षेत्र के बेलाही गांव वापस आना पड़ा।
इस दौरान हुई पिता की हत्या –
लेकिन लॉक डाउन के दौरान बीते साल 8 अप्रैल को अपराधियों ने साजिश रच कर रामानंद यादव उर्फ पहलवान यादव की हत्या कर दी। जिनके श्राद्ध कर्म में सभी बच्चे शामिल हुए। श्राद्ध कर्म समाप्त होने के बाद अपनी स्व पति की इच्छा को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। ऐसे में शिक्षण संस्थान बंद रहने के बावजूद वे अपने दोनों पुत्रों को सिमरी बख्तियारपुर स्थित अपनी बेटी के घर रहकर पढ़ाई करने के लिए छोड़ दिया।
मौसम की हत्या में किया गया दोनों को नामजद –
लेकिन रामानंद यादव के अपराधिक दुश्मन उनके बच्चे की हाथ से कलम छीनने का प्रयास कर रहे हैं। बीते 14 फरवरी को हुए मौसम यादव हत्याकांड में उनकी भाभी रिंकू देवी ने साजिश रचकर पढ़ाई कर रहे दोनों पुत्रों का नाम घसीट दिया है। जिसमें उन्होंने साफ-साफ 5:30 बजे शाम में हिम्मत और रोशन द्वारा मौसम को गोली मार देने की चर्चा लिखित आवेदन में दिया है।
मौसम की जब हुई हत्या तब दोनों थे थाना में –
वही उन्होंने बताया कि जिस वक्त (5:30 बजे शाम) मौसम की हत्या हुई। उसी दिन उनके बच्चे का एटीएम कार्ड सहित अन्य जरूरी कागजात खो गया था। जिसको लेकर वे लोग देर शाम (5 बजे से 5:30 बजे के बीच) सिमरी बख्तियारपुर थाना में सनहा दर्ज कराने पहुंचे थे। जहां सीसीटीवी कैमरे में उनके दोनों पुत्रों की तस्वीर कैद है। जहां से वापस लौटने के क्रम में सिमरी बख्तियारपुर स्थित हरेवा स्वीट्स दुकान में नाश्ता कर रहे थे। जहां लगी सीसीटीवी कैमरे में भी उनके दोनों पुत्रों की तस्वीर कैद है। ऐसे में जिस वक्त वे दोनों सिमरी बख्तियारपुर थाना और हरेवा स्वीट्स में मौजूद थे। उसी वक्त हुए लगभग 20 किलोमीटर दूर हुए मौसम यादव की हत्या में कैसे मौजूद रहे सकते हैं।
मांग रही बच्चों के लिए न्याय –
ऐसे में पूर्व जिला पार्षद फूलन देवी डीएसपी और एसपी सहित कई वरीय पदाधिकारियों से गुहार लगाते हुए अपने पति की इच्छा से अपने पुत्रों के हाथ में दी गई कलम को नहीं छीनने की गुहार लगा रही है। उनके हाथों में हथियार नहीं थमाने की बात कर रही है।
पूर्व में भी रोशन को फसाने की हुई थी साजिश –
वहीं उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में खगडिया जिले के अलौली भरना में हुए पैक्स अध्यक्ष राजेश की हत्या में भी रोशन का नाम रामानंद के दुश्मनों द्वारा जबरन डाला गया था। लेकिन उक्त घटना के समय उनके पुत्र उत्तराखंड के देहरादून स्थिति इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। जिसकी सारी दस्तावेज जब खगड़िया के तत्कालीन एसपी को प्राप्त हुआ तो उनके पुत्र रोशन को बाइज्जत बरी कर दिया गया था। हालांकि उक्त मामले में ही उनके सबसे बड़े बेटे धर्मवीर यादव अभी तक खगड़िया जेल में बंद है।
ऐसे में पूर्व जिला पार्षद कलम की पूजा करने वाले अपने दोनों बच्चों को अपराधिक दुनिया में घसीटने से रोकने की गुहार लगा रही है। देखना लाजमी होगा की पुलिस अनुसंधान में हिम्मत और रोशन के हाथों में बंदूक थमाई जाती है या कलम।
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