लालबाग स्थित साहित्य मंदिर मे सर्वभाषा कवि सम्मेलन में श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

गौतम झा
अड़रियासंग्राम। झंझारपुर। मधुबनी
प्रमंडलीय मुख्यालय दरभंगा शहर के लालबाग स्थित “साहित्य मंदिर” में आयोजित सर्वभाषा कवि गोष्ठी में दर्जनों रचनाकारों ने अपनी- अपनी कविताएं सुनायीं। मैथिली के मूर्धन्य कवि प्रो. भीमनाथ झा के कोरोना संक्रामक महामारी की शुरुआती भयावहता और उसके अंत की सुखद स्थिति पर आधारित कविता से आरंभ हुई काव्य गोष्ठी में जहां बिहार प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एवं वर्तमान मे सीएम काॅलेज दरभंगा के संस्कृत विभाग के प्रो. डॉ. संजीत झा “सरस” के सरल शब्दों से संयोजित लयबद्ध संस्कृत मुक्तक एवं मैथिली कविता ने श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध किया वहीं डा. अमरकांत कुमर एवं फूलचंद्र झा प्रवीण के भावप्रवण गीत ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत मैथिली के विद्वान डा. विभूति आनंद ने भी रचनाएं सुनाकर लोगों को सोचने के लिए विवश कर दिया। वरिष्ठ पत्रकार प्रो. कृष्ण कुमार ने अपनी दो गजलें सुनायीं। अन्य विशिष्ट कवियों में हरिश्चन्द्र झा हरित, प्रो. इन्दिरा झा, प्रो. बौआनंद झा, तरुण मिश्र, चंद्रमोहन झा पड़वा, राजनाथ मिश्र, चंद्रदेव झा आदि थे। जो अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं के आकर्षण का केन्द्र बने। के एस डी एस यू के दर्शनशास्त्र विभाग से सेवानिवृत्त प्रो. बौआनंद झा ने अपने शास्त्रीय वक्तव्य में लालबाग की पूजा की विशिष्टता को इंगित किया। एम एल एस एम कालेज दरभंगा के प्रधानाचार्य प्रो. विद्यानाथ झा, वरिष्ठ पत्रकार प्रो. सतीश कुमार सिंह ने सरस्वती पूजा की माहात्म्य के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। 1936 ईस्वी से अनवरत चले आ रहे इस सारस्वत अनुष्ठान में कवि गोष्ठी के आयोजन की बृहत् परंपरा रही है, जो आज भी जारी है। कवयित्री लक्ष्मी सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में यह सर्वभाषा गोष्ठी संपन्न हुई।
मोदनाथ मिश्र, अमरनाथ मिश्र, फणीन्द्र मिश्र, विजय मिश्र, शुभानन मिश्र, अनिल मिश्र, पंकज मिश्र, शाश्वत मिश्र, मीनाक्षी, आकांक्षा, भव्या आदि आयोजन में काफी सक्रिय थे। गजानन मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि कवि चंद्रेश ने संचालन किया।
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