‘कारोबार और रोजगार के अवसर खोलेगा मिथिला मखान’

विद्यापति सेवा संस्थान के मांग पर कृत कार्यवाही की मुख्यमंत्री सचिवालय एवं राजभवन ने संस्थान को दी जानकारी
भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान के मानक के हिसाब से मिथिला के 20 जिलों में मखान की हो रही खेती के मद्देनजर मखाना की जीआई टैगिंग बिहार मखाना की बजाय मिथिला मखान के नाम से किए जाने की विद्यापति सेवा संस्थान की मांग अब परवान चढ़ने लगी है। जानकारी देते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बताया कि गत साल अगस्त के महीने में मखाना के जीआई टैगिंग के लिए मिथिला के सांस्कृतिक वैशिष्ट्य एवं भौगोलिक परिधि को ध्यान में रखते हुए मिथिला के मखान की जीआई टैगिंग मिथिला मखान नाम से किए जाने के लिए संस्थान की ओर से मुख्यमंत्री सचिवालय एवं राज भवन को भेजे गए मांग पत्र पर कार्यवाही शुरू करते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति को इस पर त्वरित कार्रवाई किए जाने को निर्देशित किया गया है।
कृत कार्यवाही की सूचना संदर्भित संस्थान को मिले पत्रों की चर्चा करते उन्होंने कहा कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के रूप में मखान का नाम जगजाहिर है। मिथिला देश में मखान का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। लिहाजा, इसकी जीआई टैगिंग मिथिला मखान के नाम से होने एवं इसकी समुचित ब्रांडिंग होने से इस उद्योग के विकास का रास्ता प्रशस्त होगा। क्योंकि जीआई टैग के माध्यम से होने वाली आमदनी को न सिर्फ इस उद्योग के विकास में सहज ही लगाया जा सकेगा, बल्कि इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की संभावना भी मजबूत हो सकेगी।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने मुख्यमंत्री सचिवालय एवं राजभवन की ओर से कृत कार्यवाही पर प्रसन्नता जाहिर करते कहा कि इस कार्यवाही से सरकार का मिथिला एवं मैथिल के प्रति प्रेम एक बार फिर से मुखर होकर सामने आया है। एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डाॅ अनिल कुमार झा ने कहा कि सही समय पर विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा पूरी तत्परता से उठाए गए कदम का यह ठोस नतीजा है।उन्होने कहा कि अब मखान उद्योग के विकास में फंडिंग के अभाव का खामियाजा नहीं भुगतना पड़ेगा। प्रो जीवकांत मिश्र ने मिथिला के नाम से मखान की जीआई टैगिंग होने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि अब न सिर्फ मखाना उद्योग के दिन बहुरेंगे बल्कि इसके उत्पादन क्षमता एवं व्यापार में सुविधापूर्ण विस्तार हो सकेगा। प्रवीण कुमार झा ने कहा कि मिथिला के सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में विख्यात मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला के नाम होने से न सिर्फ इसका व्यापक विस्तार हो सकेगा बल्कि इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कारोबार और रोजगार के नित नए अवसर मैथिल को उपलब्ध हो सकेंगे।
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